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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥ १५ ॥
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वतीसंवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
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देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
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देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जंभनादिनी ।